जब भगवान विष्णु ध्रुव को जीवन, कर्म,और ज्ञान प्रकाश का पाठ पढ़ाकर चीर सागर लौटे | तो देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा :
"हे भगवन आपने एक बार कहा था धरती पर आपके अगिणत भक्त हैं! ध्रुव का कल्याण तो हो गया, पर उससे तो केवल एक का कल्याण हुआ है और भक्तों का कल्याण कैसे होगा? जो और प्रकाश ध्रुव को मिला उस पर तो समस्त मानव जाति का अधिकार है | ये ज्ञान ये प्रकाश उनको कैसे मिलेगा? ये जीवन के नियम उन्हें कौन बताएगा?"
इस पर भगवान विष्णु बोलें :
"हे देवी अपने अभी जो कहा वो वास्तव में चिंता का विषय है और हम आपके आभारी हैं जो आपने इस चिंता को व्यक्त कर दिया |"
मानव कल्याण ही हमारा परम उद्देश्य है | हमें ज्ञान का प्रकाश मानव जीवन तक पहुँचाने के लिए कुछ दीप प्रज्वलित करने होंगे |
और भगवान विष्णु ने अपने आप्त वचन से चार वेदों की रचना की जो इस प्रकार हैं :
1. ऋग्वेद
2. यजुर्वेद
3. सामवेद
4. अथर्ववेद
और अपने उस आप्त वचन को धरती पर सुरक्षित भेजने के लिए ब्रह्मदेव को सौंपे और कहें :"हे ब्रह्मा ये आप्त वचन है, मेरी वाणी है; ये सारे ज्ञान के स्वरूप हैं | ज्ञान जो निश्च्छल होता है, पवित्र होता है एक बालक के समान | मै चाहता हूँ की मेरे वाणी को सुरक्षित रूप से मानव जाति तक पहुँचा दें |"
अतः इस प्रकार चारों वेदों की रचना की गई | धन्यवाद!